1. Bachhe ki Unchi Soch
एक आदमी ने देखा की एक गरीब बच्चा उस की कीमती कार को निहार रहा है।
उसे रहम आ गया और उसने उस बच्चे को अपनी कार में बैठा लिया।
उसे रहम आ गया और उसने उस बच्चे को अपनी कार में बैठा लिया।
बच्चा : आपकी कार बहुत महंगी है ना.?
आदमी : हाँ। मेरे बड़े भाई ने मुझे उपहार में दी है।
बच्चा : आपके बड़े भाई कितने अच्छे आदमी हैं।
आदमी: मुझे पता है तुम क्या सोच रहे हो। तुम भी ऐसी कार चाहते हो ना.?
बच्चा: नहीं, मै भी आपके बड़े भाई जैसा बनना चाहता हूँ। मेरे भी छोटे भाई बहन हैं ना..।
Thought of the day:-
“अपनी सोच को हमेशा ऊंचा रखें, दूसरों की अपेक्षाओं से भी कहीं ज्यादा ऊँचा.
“अपनी सोच को हमेशा ऊंचा रखें, दूसरों की अपेक्षाओं से भी कहीं ज्यादा ऊँचा.
2. Funny Ladki aur Doctor
लड़की – मेरे चेहरे में जलन हो रही है
डॉक्टर – आपके चेहरे का हमें एक्स रे करना पड़ेगा
डॉक्टर – आपके चेहरे का हमें एक्स रे करना पड़ेगा
लड़की – एक्स रे में क्या होता है
डॉक्टर – चेहरे की फोटो खींची जाती है..
डॉक्टर – चेहरे की फोटो खींची जाती है..
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लड़की – 5 मिनट रुको मैं मेकअप कर लूं
डॉक्टर बेहोश
डॉक्टर बेहोश
3. Gabbar Singh Ka Charitra – Funny Joke on Sholey character
गब्बर सिंह का चरित्र चित्रण
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा
सरल था. पुराने और मैले
कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दां
त और पहाड़ों पर खानाबदोश
जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की
ओर इतना
समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासि
ता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और
विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! ‘जो डर गया, सो मर गया’ जैसे
संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
1. सादा जीवन, उच्च विचार: उसके जीने का ढंग बड़ा
सरल था. पुराने और मैले
कपड़े, बढ़ी हुई दाढ़ी, महीनों से जंग खाते दां
त और पहाड़ों पर खानाबदोश
जीवन. जैसे मध्यकालीन भारत का फकीर हो. जीवन में अपने लक्ष्य की
ओर इतना
समर्पित कि ऐशो-आराम और विलासि
ता के लिए एक पल की भी फुर्सत नहीं. और
विचारों में उत्कृष्टता के क्या कहने! ‘जो डर गया, सो मर गया’ जैसे
संवादों से उसने जीवन की क्षणभंगुरता पर प्रकाश डाला था.
२. दयालु प्रवृत्ति: ठाकुर ने उसे अपने
हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने
ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी
काट सकता था.
पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
हाथों से पकड़ा था. इसलिए उसने
ठाकुर के सिर्फ हाथों को सज़ा दी. अगर वो चाहता तो गर्दन भी
काट सकता था.
पर उसके ममतापूर्ण और करुणामय ह्रदय ने उसे ऐसा करने से रोक दिया.
3. नृत्य-संगीत का शौकीन: ‘महबूबा ओये महबूबा’ गीत के समय उसके कलाकार
ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्
रदय शुष्क नहीं था.
वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला
के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को
पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्
यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के
अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में
पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के
प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
ह्रदय का परिचय मिलता है. अन्य डाकुओं की तरह उसका ह्
रदय शुष्क नहीं था.
वह जीवन में नृत्य-संगीत एवंकला
के महत्त्व को समझता था. बसन्ती को
पकड़ने के बाद उसके मन का नृत्
यप्रेमी फिर से जाग उठा था. उसने बसन्ती के
अन्दर छुपी नर्तकी को एक पल में
पहचान लिया था. गौरतलब यह कि कला के
प्रति अपने प्रेम को अभिव्यक्त करने का वह कोई अवसर नहीं छोड़ता था.
4. अनुशासनप्रिय नायक: जब कालिया और उसके दोस्त
अपने प्रोजेक्ट से नाकाम
होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने
अगाध
समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
अपने प्रोजेक्ट से नाकाम
होकर लौटे तो उसने कतई ढीलाई नहीं बरती. अनुशासन के प्रति अपने
अगाध
समर्पण को दर्शाते हुए उसने उन्हें तुरंत सज़ा दी.
5. हास्य-रस का प्रेमी: उसमें गज़ब का सेन्स
ऑफ ह्यूमर था. कालिया और
उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसा
या था. ताकि
वो हंसते-हंसते दुनिया को अलवि
दा कह सकें. वह आधुनिक यु का ‘लाफिंग
बुद्धा’ था.
ऑफ ह्यूमर था. कालिया और
उसके दो दोस्तों को मारने से पहले उसने उन तीनों को खूब हंसा
या था. ताकि
वो हंसते-हंसते दुनिया को अलवि
दा कह सकें. वह आधुनिक यु का ‘लाफिंग
बुद्धा’ था.
6. नारी के प्रति सम्मान: बसन्ती जैसी सुन्दर ना
री का अपहरण करने के बाद
उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो
शायद कुछ और
करता.
री का अपहरण करने के बाद
उसने उससे एक नृत्य का निवेदन किया. आज-कल का खलनायक होता तो
शायद कुछ और
करता.
7. भिक्षुक जीवन: उसने हिन्दू धर्म और महा
त्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए
भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से
उसे जो
भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर
करता था. सोना,
चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
त्मा बुद्ध द्वारा दिखाए गए
भिक्षुक जीवन के रास्ते को अपनाया था. रामपुर और अन्य गाँवों से
उसे जो
भी सूखा-कच्चा अनाज मिलता था, वो उसी से अपनी गुजर-बसर
करता था. सोना,
चांदी, बिरयानी या चिकन मलाई टिक्का की उसने कभी इच्छा ज़ाहिर नहीं की.
8. सामाजिक कार्य: डकैती के पेशे के अलावा
वो छोटे बच्चों को सुलाने का
भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम ले
ती थीं ताकि बच्चे बिना कलह
किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित
कर रखा था. उस
युग में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ना होने के बावजूद लो
गों को रातों-रात अमीर
बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.
वो छोटे बच्चों को सुलाने का
भी काम करता था. सैकड़ों माताएं उसका नाम ले
ती थीं ताकि बच्चे बिना कलह
किए सो जाएं. सरकार ने उसपर 50,000 रुपयों का इनाम घोषित
कर रखा था. उस
युग में ‘कौन बनेगा करोड़पति’ ना होने के बावजूद लो
गों को रातों-रात अमीर
बनाने का गब्बर का यह सच्चा प्रयास था.
9. महानायकों का निर्माता: अगर गब्बर नहीं होता
तो जय और वीरू जैसे
लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां
करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर
के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने
की क्षमता
जागी.
तो जय और वीरू जैसे
लुच्चे-लफंगे छोटी-मोटी चोरियां
करते हुए स्वर्ग सिधार जाते. पर यह गब्बर
के व्यक्तित्व का प्रताप था कि उन लफंगों में भी महानायक बनने
की क्षमता
जागी.
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